इस लेख में हम आपको संविधान क्या है? ( Samvidhan Kya Hai?) इसके बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं। इसके अलावा आपको संविधान के प्रकार से जुड़ी जानकारियां सरल और स्पष्ट भाषा में दी जाएंगी।
अगर आप राजनीति विषय के छात्र हैं और इसका अध्ययन करते हैं अथवा किसी कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको Samvidhan Kya Hai? इसके बारे में पूरी जानकारी पता होना चाहिए। क्योंकि प्रश्न कहीं से भी पूछे जा सकते हैं।
इस आर्टिकल में संविधान के बारे में व्याख्यात्मक रूप से चर्चा की गई है, जिससे छात्रों को संविधान के बारे में सीखने को मिलता है और वे बड़ी ही आसानी से किसी को समझा सकते हैं, कि किसी देश के लिए संविधान क्यों आवश्यक है?
इसके अलावा इस आर्टिकल में आपको संविधान का महत्व, विशेषताएं, सामाजिक परिणाम तथा इसके मूल सिद्धांत के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। इसे पढ़ने के बाद आप संविधान के पक्ष अथवा विपक्ष में अपना तर्क दे सकते हैं।
इसके अलावा Article में आपके लिए एक वीडियो भी है, जिसे देखने के बाद आपको यह बात बिल्कुल अच्छी तरह से याद हो जायेगी, कि संविधान क्या है? इसलिए कृपया इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
संविधान क्या है? (Samvidhan kya hai)
संविधान किसी देश को चलाने के लिए बनाया गया संहिता (दस्तावेज) है, जिसमें विभिन्न प्रकार के विधि-विधान लिखित रहते हैं। संविधान में लिखे गए कानून किसी भी राष्ट्र (देश) के शासन का आधार होते हैं और संविधान ही देश के भविष्य का निर्धारण करते हैं।
भारत का संविधान विश्व के किसी भी संप्रभु देश के संविधान से सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
आसान शब्दों में समझा जाए तो किसी भी देश का संविधान उस देश की न्याय व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था अथवा देश के नागरिकों के हितों की रक्षा करने के लिए एक आधार है।
इस प्रकार से संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून होता है, जो उस देश की सरकार के विभिन्न भागों के कार्य का निर्धारण और उनकी रूपरेखा तय करता है।
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भारतीय संविधान क्या है?
लगभग सभी गणतंत्र राष्ट्र संविधान पर ही आधारित होते हैं और संविधान में ही उस राष्ट्र को चलाने तथा नागरिकों अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण नियम बनाए जाते हैं।
भारत का संविधान एक लिखित दस्तावेज है, जिसमें भारतीय प्रशासन को चलाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश बनाए गए हैं। भारतीय संविधान में इंग्लैंड की संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है, जिसके अंतर्गत भारतीय संविधान का निर्माण हुआ।
भारतीय संविधान में बनाए गए कानूनों का उल्लंघन कोई भी सरकार नहीं कर सकती है। चूंकि संविधान क्रेंद्र अथवा राज्य सरकार को वह दिशा निर्देश देता है, जिससे वे प्रशासन की शक्तियों का दुरुपयोग नहीं कर सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय संविधान के संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। इसीलिए केंद्र अथवा राज्य सरकार के द्वारा बनाए गए कानून की समीक्षा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की जा सकती है।
अगर सर्वोच्च न्यायालय सरकार द्वारा बनाए गए किसी कानून को संविधान के दिशा निर्देशों के विपरीत पाती है तो वह उसे निरस्त कर सकती है।
संविधान का अर्थ क्या होता है?
आसान भाषा में संविधान का अर्थ, नियमों और कानूनों का एक ऐसा संग्रह है, जिसमें किसी देश को सही तरीके से चलाने के लिए दिशानिर्देश दिया गया होता है।
भारतीय संविधान का इतिहास क्या है?
- जब वर्ष 1992 में भारत छोड़ो आंदोलन के कारण तथा द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद England पर भारत तथा अन्य देशों के द्वारा दबाव बनाया जाने लगा, तब इंग्लैंड ने भारत की सत्ता को, भारत के लोगों को हस्तांतरण करने के लिए, भारत में अपने कैबिनेट मिशन को भेजा था।
- उसके बाद वर्ष 1946 में कैबिनेट मिशन ने सत्ता हस्तांतरण के लिए कुछ प्रावधान बनाए, जिसमें से एक प्रावधान संविधान सभा गठित करना था। जिसमें उन्होंने कहा कि संविधान सभा ही भारत के संविधान को निर्मित करेगी और वही सत्ता ग्रहण करें।
- उसके बाद संविधान सभा का गठन किया गया, जिसका प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को संपन्न हुआ था और यह अधिवेशन डॉक्टर सच्चिदानंद की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जोकि अस्थाई अध्यक्ष थे।
- फिर 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के द्वारा सर्वसम्मति से डॉक्टर राजेश प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया।
- उस समय से संविधान सभा में कई समितियों का गठन किया गया था, जिसमें डॉ भीमराव अंबेडकर सबसे प्रमुख समिति, प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।
- उसके पश्चात 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ फिर 26 नवंबर 1950 को भारत में पूर्ण संविधान लागू कर दिया गया।
संविधान पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस आर्टिकल में हमने कुछ प्रश्नों को सम्मिलित किया है, जो संविधान क्या है? से संबंधित है। आपको इन प्रश्नों के उत्तर अवश्य जानने चाहिए।
संविधान के रचयिता कौन है?
भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के रचयिता कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने ही दुनिया भर के संविधान के विषय में अध्ययन करने के बाद भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार की और उसे 26 नवंबर 1939 में भारतीय संविधान सभा के सामने पेश किया।
संविधान कब लागू हुआ?
भारतीय संविधान के रचयिता डॉ भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 तक तैयार कर लिया था।
भारत देश के आजाद होने के बाद भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय संविधान के प्रमुख स्रोत क्या है?
भारतीय संविधान के प्रमुख स्रोत में सबसे मुख्य स्रोत भारतीय शासन अधिनियम 1935 को माना जाता है, क्योंकि भारतीय शासन अधिनियम 1935 से ही भारतीय संविधान के प्रावधानों का एक बहुत बड़ा हिस्सा लिया गया है, इसके अलावा भारतीय शासन अधिनियम 1935 को ही भारतीय संविधान का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है।
संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है?
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के महत्व में भारत के नागरिकों के आर्थिक और सामाजिक न्याय के साथ साथ नागरिकों के लिए राजनीतिक तथा स्वतंत्रता के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत के नागरिकों को बंधुत्व और भाईचारा, आपसी प्रेम भावना के माध्यम से देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के साथ साथ सभी व्यक्तियों का सम्मान सुनिश्चित करती है।
संविधान की अनुसूचियां कितनी है?
शुरुआत के समय में जब भारतीय संविधान को लागू किया गया था, तब उस समय मूल संविधान में सिर्फ 8 अनुसूचियां मौजूद थी। लेकिन वर्तमान समय में भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियां उपलब्ध हैं।
संविधान की आत्मा किसे कहा जाता है?
संविधान की प्रस्तावना को भारतीय संविधान की आत्मा कहा जाता है, जिसे ठाकुरदास भार्गव ने कहा था।
इसके अलावा अगर बात की जाए कि कौन से मौलिक अधिकार को संविधान की आत्मा कहा जाता है? तो इसका उत्तर है: डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के कथानुसार संवैधानिक उपचारों का अधिकार ही संविधान की आत्मा है।
भारतीय संविधान में कुल कितनी धाराएं हैं?
वर्तमान समय में भारतीय संविधान में कुल धाराओं की संख्या में, 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं, जिसे 25 भागों में बांटा गया है। चूंकि भारतीय संविधान में कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं, इसलिए संविधान की कुल धाराओं को बताना मुश्किल है।
संविधान क्यों बनाया गया था?
भारतीय संविधान का निर्माण इसलिए किया गया, ताकि भारत देश को एक विकसित देश बनाया जा सके और इसके नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों को प्रदान किया जा सके।
चूंकि संविधान ही भारत देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और भारत देश को स्वतंत्र देश बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए संविधान को बनाना आवश्यक हो गया था।
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों पड़ी?
हमें संविधान की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि संविधान ऐसे आदर्शों को एकसाथ बांधता है, जिससे किसी देश को नागरिकों की इच्छा और सपनों के अनुसार बनाया जा सकता है। इसके अलावा संविधान ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, जो कि किसी भी देश को सही तरीके से चलाने के लिए आवश्यक होता है।
संविधान के चार प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं?
संविधान के चार प्रमुख कार्यों में निम्नलिखित कार्य आते हैं।
1. सबको समानता का अधिकार प्रदान करना
2. स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करना
3. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार प्रदान करना
4. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
निष्कर्ष- संविधान क्या है?
उम्मीद है कि, यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि संविधान क्या है?
हमें विश्वास है कि, यह आर्टिकल आपको संविधान की कमजोरियों की पहचान करने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा अब आप किसी को संविधान के बारे में बता सकते हैं।
इस तरह के महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करने में बहुत मेहनत लगती है, इसलिए अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें, जिससे उन्हें भी यह पता चल सके कि Samvidhan Kya Hai? धन्यवाद!