लोकतंत्र क्या है | Loktantra Kya Hai जानिए लोकतंत्र के 8 प्रकार!

अगर आप राजनीति विज्ञान विषय का अध्ययन करते हैं, तो आपको यह बात अवश्य पता होना चाहिए कि लोकतंत्र क्या है? लोकतंत्र की विशेषताएं क्या है? लोकतंत्र के बारे में आपसे छोटी कक्षा से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक के बारे में प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

इसलिए यह आर्टिकल लोकतंत्र की सरल परिभाषा के साथ इसी पर आधारित है। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप सरकार के लोकतांत्रिक रूप और गैर लोकतांत्रिक सरकार के मध्य अंतर जान पाएंगे।

Earn Money in Hindi के इस आर्टिकल में लोकतंत्र के बारे में व्याख्यात्मक रूप से चर्चा की गई है, जिससे छात्रों को लोकतंत्र के बारे में सीखने को मिलता है और वे बड़ी ही आसानी से किसी को समझा सकते हैं, कि Loktantra Kya Hai?

इसके अलावा इस आर्टिकल में आपको लोकतंत्र के महत्व, विशेषताएं, सामाजिक परिणाम तथा इसके मूल सिद्धांत के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। इसे पढ़ने के बाद आप लोकतंत्र के पक्ष अथवा विपक्ष में अपना तर्क दे सकते हैं।

लोकतंत्र क्या है क्यों है? (Loktantra Kya Hai)

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, लोकतंत्र दो शब्दों (लोक + तंत्र) से मिलकर बना होता है। जिसमें पहले शब्द का मतलब जनता तथा दूसरे शब्द का मतलब शासन होता है। इस प्रकार लोकतंत्र सरकार और जनता के मध्य संबंध रखता है।

लोकतंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है, जिसमें समाज का कोई भी व्यक्ति निर्वाचन में खड़े हुए व्यक्ति को अपनी स्वेच्छा से मत रखकर, अपना शासक चुन सकता है। लोकतंत्र में नागरिक अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं और सरकारी प्रतिनिधियों का चुनने का अधिकार रखते हैं।

आसान शब्दों में लोकतंत्र सरकार का एक रूप है, जिसमें लोगों के द्वारा शासक का चुनाव किया जाता है और सभी लोकतंत्र में मुख्य बात यह है, कि इसमें सरकार सामाजिक लोगों के द्वारा ही चुनी जाती है।

किसी भी लोकतांत्रिक सरकार में जनता के पास कुछ बुनियादी अधिकार होते हैं, जिन्हें सरकार उनसे नहीं छीन सकती है। लोकतंत्र ने ही हमें सत्तावादी राजतंत्र जैसी पुरानी व्यवस्थाओं से दूर करके आजादी प्रदान की है।

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लोकतंत्र की परिभाषा (Loktantra Kya Hai)

चूंकि लोकतंत्र के अनेक रूप हैं और इसलिए इसकी किसी एक परिभाषा के बारे में बताना उचित नहीं है। परिस्थितियों तथा समय के अनुसार विभिन्न समय के लोगों ने इसके बारे में अपना विचार रखा है। जिनके आधार पर लोकतंत्र की अनेक परिभाषाएं अग्र लिखित हैं।

1. लॉर्ड ब्राइस ने लोकतंत्र के बारे में यह पर परिभाषा दी है कि, “प्रजातंत्र वह शासन प्रणाली है, जिसमें की शासन शक्ति एक विशेष वर्ग या वर्गों में निहित ना रहकर समाज के सदस्य में निहित होती है।”

2. जॉनसन के अनुसार, “प्रजातंत्र शासन का वह रूप है जिसमें प्रभुसत्ता जनता में सामूहिक रूप से निहित हो।”

3. सारटोरी के द्वारा यह परिभाषा बताई गई है कि, “लोकतंत्रीय व्यवस्था वह है, जो सरकार को उत्तरदायी तथा नियंत्रणकारी बनाती हो तथा जिसकी प्रभावकारिता मुख्यत: इसके नेतृत्व की योग्यता तथा कार्यक्षमता पर निर्भर है।”

कुछ महान विचारकों के अनुसार तंत्र की परिभाषा

जिसमें जनता की सहभागिता हो उसे लोकतंत्र कहा जाता है

सिले

जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन, लोकतंत्र कहलाता है।

अब्राहम लिंकन

राज्य के शासन शक्ति समुदाय में एक सम सूची के रूप में निहित होना ही लोकतंत्र कहलाता है

ब्राइस

गैर लोकतंत्र: जिस देश में शासक जनता द्वारा नहीं चुने जाते अथवा शासक के निर्णय में वहां के लोगों की भूमिका नहीं होती है। वह गैर-लोकतांत्रिक देश कहलाते है। उदाहरण के लिए म्यांमार को ले सकते हैं, यहां पर शासक लोगों के द्वारा नहीं चुने जाते; बल्कि देश की सेना के प्रभारी ही शासक के रूप में कार्यभार संभालते हैं। यह बात राजतंत्र पर भी लागू होती है।

आप समझ गए होंगे कि लोकतंत्र क्या है?, इसलिए अब हम आपको इसके बारे में अन्य जानकारियां प्रदान करेंगे

लोकतंत्र किसे कहते हैं?

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, ये बात आपको पता होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि लोकतंत्र को ही प्रजातंत्र के नाम से जाना जाता है। कमेंट के माध्यम से हमें इसके बारे में अवश्य बताएं। खैर, अभी के लिए आगे पढ़ें:

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के कथन: “जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन” के अनुसार यह पता चलता है, कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। इस प्रकार लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जो जनता को शासन में शामिल करने और आजाद रहने की शक्ति देती है। इस प्रकार जहां पर जनता ही सब कुछ होती है, उसे लोकतंत्र कहा जाता है।

लोकतंत्र कितने प्रकार के होते हैं?

प्रत्येक देश लोकतंत्र को अलग-अलग नजरिए से देखते हैं। आज के समय दुनिया भर में मौजूद प्रमुख प्रकार के लोकतंत्र नीचे बताए गए हैं।

  1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र
  2. प्रतिनिधि लोकतंत्र
  3. सत्तावादी लोकतंत्र
  4. राष्ट्रपति लोकतंत्र
  5. संसदीय लोकतंत्र (संसदीय धर्मनिरपेक्षता)
  6. भागीदारी प्रजातंत्र
  7. सामाजिक लोकतंत्र
  8. इस्लामी लोकतंत्र

अब आपको इन सभी लोकतंत्र के बारे में संक्षेप में बताया जाएगा।

1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या है?

एक लोकतंत्र प्रत्यक्ष लोकतंत्र तब कहलाता है, जब नागरिकों को बिना किसी मध्यवर्ती प्रतिनिधि अथवा संसद के सदन के किसी भी नीति के लिए वोट करने को मिलता है।

उदाहरण के लिए: अगर सरकार कोई कानून अथवा नियम बनाती है, तो वह जनता के पास जाती है और जनता ही इस नियम पर अपना मत रखकर अपने देश के भाग्य का फैसला करते हैं। अगर जनता चाहे तो वह स्वयं भी किसी मुद्दे को उठा सकती है और उसके बारे में कानून बनाने के लिए कह सकती है।

जनमत संग्रह का उपयोग करके आम नागरिकों द्वारा सरकार से किसी कानून को निरस्त करने के लिए कहा जा सकता है। इसके अलावा प्रत्यक्ष लोकतंत्र, सरकार को नागरिक बहुमत प्राप्त होने पर किसी कानून को बनाने की शक्ति देता है।

Side Note: लोकतंत्र का ये मॉडल लोगों को अपनी स्वयं की पार्टियां बनाने के लिए प्रेरित करता है। शासन की इसी प्रणाली के कारण स्विट्जरलैंड के एक राजनीतिक दल को एंटी-पावरपॉइंट पार्टी कहा जाता है।

2. प्रतिनिधि या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र क्या है?

प्रतिनिधि लोकतंत्र को अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के नाम से भी जाना जाता है। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र दुनिया भर में पाए जाने वाले लोकतंत्र शासन का सबसे आम रूप है। 

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र तब होता है, जब जनता ऐसे प्रतिनिधि का चयन करती है, जो संसद में उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें प्रतिनिधियों का एक छोटा समूह नीति निर्माण में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग कर सकता है और बाकी प्रतिनिधि जनता के अन्य कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इसमें जनता सिर्फ अपना प्रतिनिधि चुनती है और वह किसी भी शासन व्यवस्था अथवा कानून के निर्माण में शामिल नहीं होती है।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र न केवल राज्य की बहुसंख्यक लोगों, बल्कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने को भी बढ़ावा देता है। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय अपने लिए एक योग्य प्रतिनिधि का चयन करके, अपनी शिकायतों को अधिक कुशलता से निस्तारित करने में सक्षम होते हैं।

हालांकि इस लोकतंत्र का एक नकारात्मक पक्ष यह है, कि चुनी हुई सरकार अपने नागरिकों के हितों को आगे बढ़ाने में विफल हो सकती है। दुनिया भर के अधिकांश प्रतिनिधि खुद को उदार लोकतंत्र मानते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे पूरे राज्य की तुलना में अपने व्यक्तिगत नागरिकों की जरूरतों को अधिक महत्व देते हैं।

शायद इसीलिए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में आपातकाल की स्थिति घोषित करना मुश्किल होता है। हालांकि एक उदार लोकतंत्र अलग-अलग रूप धारण कर सकता है। क्योंकि विभिन्न देशों की अलग-अलग आवश्यकताएं और विचार धाराएं होती है।

3. सत्तावादी लोकतंत्र क्या है?

सत्तावादी लोकतंत्र तब होता है, जब राज्य के व्यक्तियों को अपने द्वारा चुने हुए उम्मीदवार को वोट देने की अनुमति होती है। लेकिन वे आम लोग चुनाव में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इसमें केवल शासक अभिजात वर्ग का व्यक्ति ही राज्य की आबादी के विभिन्न हितों पर निर्णय लेता है।

उदाहरण के लिए: रूस को लिया जा सकता है, जहां पर व्लादिमीर पुतिन के अधीन में सत्तावादी शासन व्यवस्था चलाई जा रही है।

4. राष्ट्रपति लोकतंत्र क्या है?

राष्ट्रपति लोकतंत्र के अंतर्गत एक राज्य के राष्ट्रपति के पास शासन के लिए महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त होती हैं और राष्ट्रपति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य के नागरिकों द्वारा ही चुना जाता है।

राष्ट्रपति लोकतंत्र में विधायिका राष्ट्रपति को उनके पद से तब तक नहीं हटा सकती है, जब तक की इसकी बहुत अधिक आवश्यकता ना हो। हालांकि राष्ट्रपति के पास किसी भी विधेयक को अपनाने से रोकने के लिए विधेयक को वीटो करने की शक्ति प्राप्त है। 

लेकिन अगर विधायिका अपने लिए पर्याप्त वोट जुटा सकती है, तो वह राष्ट्रपति के वीटो को ओवरराइड कर सकती है। 

राष्ट्रपति के लोकतंत्र के अंतर्गत राज्य का मुखिया ही सरकार का मुखिया भी होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, सूडान और अर्जेंटीना जैसे देश राष्ट्रपति लोकतंत्र के अंतर्गत आते हैं।

5. संसदीय लोकतंत्र क्या है?

संसदीय लोकतंत्र में विधायिका को अधिक शक्ति प्राप्त होती है। इसमें कार्यकारी शाखा अपनी लोकतांत्रिक वैधता केवल संसद से प्राप्त करती है।

संसदीय लोकतंत्र में निर्वाचित विधायिका (संसद) सरकार के मुखिया (प्रधानमंत्री) का चयन करती है और विधायिका ही किसी भी समय अविश्वास प्रस्ताव पारित करके प्रधानमंत्री को हटा सकती है।

इसके अलावा संसदीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास अलग-अलग शक्तियां होती हैं और ज्यादातर मामलों में राष्ट्रपति सिर्फ एक औपचारिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है। उदाहरण के लिए: यूनाइटेड किंगडम और भारत देश को लिया जा सकता है।

6. भागीदारी प्रजातंत्र क्या है?

भागीदारी प्रजातंत्र लोकतंत्र का एक सहभागी रूप है, जो सत्तावादी लोकतंत्र के ठीक विपरीत है। इसमें विभिन्न प्रकार के सहभागी लोकतंत्र होते हैं, जो राज्य को छोटे-छोटे भागों में बांटकर अशक्त लोगों को सशक्त बनाने का प्रयास करते हैं।

हालांकि कोई भी देश सक्रिय रूप से भागीदारी प्रजातंत्र का उपयोग नहीं करता है, क्योंकि वास्तविक जीवन में इसका उपयोग जटिलताओं से भरा है।

7. सामाजिक लोकतंत्र क्या है?

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र में नव उदारवादी नीतियों की प्रतिक्रिया के रूप में सामाजिक लोकतंत्र का उदय हुआ। नव उदारवाद के अंतर्गत बहुराष्ट्रीय निगमों जैसी लाभ कमाने वाली संस्थाएं राजनीतिक राज्यों में आसानी से प्रवेश कर सकती है।

8. इस्लामी लोकतंत्र क्या है?

इस्लामी लोकतंत्र इस्लामी कानून को सार्वजनिक नीतियों के रूप में लागू करने का प्रयास करता है और लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखता है।

इस्लामी लोकतंत्र में तीन मुख्य विशेषताएं हैं, जो निम्नलिखित हैं।

  1. नेता जनता के द्वारा चुने जाते हैं।
  2. प्रत्येक व्यक्ति शरिया कानून के अधीन है, जिसमें नेता भी शामिल है।
  3. नेताओं को “शूरा” का अभ्यास करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए, जो पैगंबर मोहम्मद द्वारा प्रचलित परामर्श का एक विशेष रूप है। 

यहां पर शूरा का तात्पर्य है, कि राजनीतिक निकाय किसी भी समस्या पर परामर्श के लिए मौजूद है। 

लोकतंत्र क्यों जरूरी है और क्यों नहीं?

यहां पर हमने लोकतंत्र के पक्ष और विपक्ष में कुछ तर्क दिए हैं, जिनके आधार पर आप यह बता सकते हैं; कि लोकतंत्र क्यों जरूरी है और क्यों नही?

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लोकतंत्र के पक्ष में तर्क:

  1. एक लोकतांत्रिक सरकार एक बेहतर सरकार है, जो देश को विकास की ओर ले जा सकती है।
  2. लोकतंत्र मतभेदों और संघर्षों से निपटने का तरीका प्रदान करता है, जो अलग जातियों तथा धर्मों का पालन करने वाले लोगों के मध्य टकराव से बचाता है।
  3. लोकतांत्रिक निर्णय में हमेशा चर्चाएं और बैठकें होती हैं। अतः लोकतंत्र, निर्णय लेने की गुणवत्ता पर भी सुधार करता है।
  4. लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है, इसलिए यह नागरिकों की गरिमा को बढ़ाता है।
  5. लोकतंत्र अपनी गलतियों को सुधारने की अनुमति देता है।

लोकतंत्र के विपक्ष में तर्क:

  1. लोकतंत्र में नेता बदलते रहते हैं, जिससे अस्थिरता पैदा होती है।
  2. जनता के द्वारा चुने गए नेताओं को लोगों के सर्वोत्तम हितों का पता ही नहीं होता है, जिसके परिणाम स्वरूप गलत निर्णय लिए जा सकते हैं।
  3. लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और सत्ता पाने की भावना बढ़ती है, जिसमें नैतिकता की कोई गुंजाइश नहीं होती है।
  4. चूंकि लोकतंत्र चुनावी प्रतिस्पर्धा पर आधारित है, इसलिए यह भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है।
  5. लोकतंत्र में बहुत सारे लोगों से परामर्श लेना पड़ता है, जिससे उचित निर्णय लेने में देरी होती है।

लोकतंत्र पर आधारित FAQs

लोकतंत्र का क्या अर्थ है?

लोकतंत्र का अर्थ जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन है। इसका मतलब है, कि जनता ही अपने लिए शासक का चयन करती है और इस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में जनता ही सर्वोपरि होती है।

लोकतंत्र के मूल सिद्धांत क्या है?

लोकतंत्र के मूल सिद्धांत निम्नलिखित हैं।

1. उदारवादी सिद्धांत: इस सिद्धांत के अंतर्गत: सबको स्वतंत्रता, समानता, धर्म-निरपेक्षता तथा समान न्याय और मौलिक अधिकार दिए जाने पर जोर दिया गया है।
2. अभिजनवादी सिद्धांत: इस सिद्धांत में कुछ विशिष्ट लोग जो विशिष्ट गुणों से युक्त है, जनता का प्रतिनिधित्व करने की योग्यता रखते हैं।
3. सहभागिता का सिद्धांत: इस सिद्धांत में, एक प्रतिनिधि जनता और दल के सहयोग से आगे बढ़ जाता है।
4. बहुलवादी सिद्धांत: इस सिद्धांत के अनुसार कोई भी नियम या नीति समाज के विभिन्न वर्गों अथवा समूह के विचारों के पारस्परिक आदान प्रदान और मत से बनाया जाता है।
5. जनता का लोकतंत्र: इस सिद्धांत के अनुसार इसमें जनता ही शासक होती है और जनता के हाथ में ही सारा नियंत्रण होता है तथा सबको समान स्तर पर अधिकार प्राप्त होते हैं।

लोकतंत्र का गुण क्या है?

लोकतंत्र के निम्नलिखित गुण होते हैं।

1. सार्वजनिक शिक्षण
2. जनकल्याण पर आधारित गुण
3. उच्च आदर्शों पर आधारित गुण
4. क्रांति से सुरक्षा
5. परिवर्तनशील शासन व्यवस्था
6. जनता में अपना विश्वास एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास
7. देश प्रेम की भावना का विकास

लोकतंत्र के दोष क्या है?

लोकतंत्र के निम्नलिखित दोष हो सकते हैं।

1. यह अयोग्य लोगों का शासन है
2. लोकतंत्र गुणों को बढ़ावा ना देख कर संख्या को बढ़ावा देता है
3. बहुमत द्वारा लिए गए निर्णय युक्ति-संगत नही
4. खर्चीली शासन व्यवस्था
5. पेशेवर राजनीतिक लोगों का बहुमूल्य
6. उग्र दलबंदी
7. आपातकाल के लिए अनुपयुक्त

लोकतंत्र के चार स्तंभ कौन-कौन से हैं?

लोकतंत्र के 4 स्तंभ निम्नलिखित हैं।

1. विधायिका
2. कार्यपालिका
3. न्यायपालिका
4. मीडिया

भारत में किस प्रकार का लोकतंत्र है?

भारत में लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों में से एक राजनीतिक समानता का लोकतंत्र चलता है और इसीलिए यहां पर कोई भी व्यक्ति राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ सकता है।

यहां पर राष्ट्रपति प्रमुख व्यक्ति के रूप में कार्य करता है, जबकि प्रधानमंत्री देश की केंद्र सरकार के प्रमुख के रूप में काम करता है। इसके अलावा बेहतर शासन व्यवस्था के लिए प्रत्येक राज्य में राज्य सरकारें हैं।

लोकतंत्र का प्राण किसे कहा जाता है?

राजनीतिक दल को लोकतंत्र का प्राण कहा जाता है, क्योंकि राजनीतिक दल ही जनता के लिए कार्य करते हैं। 

लोकतंत्र किसे बढ़ावा देता है?

लोकतंत्र सामाजिक स्वतंत्रता और आजादी को बढ़ावा देता है।

लोकतंत्र किस पर आधारित है?

लोकतंत्र राजनीतिक समानता आधारित होता है, लोकतंत्र के राजनीतिक समानता के कारण कोई भी व्यक्ति पार्टी बनाकर चुनाव लड़ सकता है।

लोकतंत्र का दिवस कब मनाया जाता है?

15 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्व में कितने लोकतांत्रिक देश हैं? 

विश्व में 56 लोकतांत्रिक देश है, जहां पर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का पालन किया जाता है। जिसमें भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

भारत में लोकतंत्र की शुरुआत कब हुई?

अगर ऐतिहासिक दृष्टि से अवलोकन किया जाए, तो भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का आरंभ पूर्व वैदिक काल से ही हो गया था।

निष्कर्ष – लोकतंत्र क्या है?

लोकतंत्र को एक सिद्धांत के रूप में किसी भी क्षेत्र में लागू किया जा सकता है और एक आदर्श मानक स्थापित कर सकते हैं। हालांकि आज के समय में लोकतंत्र लोगों के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के द्वारा शासित किया जा रहा है।

उम्मीद है कि, यह आर्टिकल पढ़ने के बाद आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि लोकतंत्र क्या है? (Loktantra Kya Hai)

हमें विश्वास है कि, यह आर्टिकल आपको मौजूदा लोकतंत्र का न्याय करने और उसकी कमजोरियों की पहचान करने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा अब आप बेकार लोकतंत्र और एक अच्छे लोकतंत्र के बीच अंतर बता सकते हैं।

इस तरह के महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करने में बहुत मेहनत लगती है, इसलिए अगर आपको Earn Money in Hindi का यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें। धन्यवाद!

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